GST क्या है और ये कैसे काम करता है? GST In Hindi

GST क्या है और ये कैसे काम करता है इसको लेकर अभी भी लोगों के बीच सामान्य जानकारी नही है। हालांकि एक महत्वपूर्ण Tax System होने की वजह से व्यापारी इसे समझने की कोशिश कर रहे हैं। लेकिन अभी भी कई ऐसी महत्वपूर्ण बातें हैं जो एक साधारण व्यापारी और आम आदमी के लिए जटिल समस्या बनी हुई है। 

लोग अभी भी गूगल पे What is GST In Hindi या फिर GST क्या है Search कर रहे हैं। लेकिन जटिल शब्दों से बनी articles लोगों के समझ मे नही आ रही है। इसलिए आज मैं आपके मन से GST यानी गुड्स एंड सर्विस टैक्स को लेकर तमाम भ्रांतियां आसान भाषा में क्लियर करने वाला हूँ। आप इस आर्टिकल में जानेंगे- 

  • GST क्या है?What Is GST In Hindi
  • GST काम कैसे करता है?( How Does GST Work In Hindi)
  • GST का इतिहास( History Of GST) 
  • अलग-अलग वस्तुओं पे GST Rate क्या है?(What Is GST Rate On Different Products and Services In Hindi)
  • GST के फायदे और नुकसान(Advantages and Disadvantages Of GST In Hindi) 

ये कुछ महत्वपूर्ण सवाल थे जिसे लोग अक्सर जानने की कोशिश करते हैं। लेकिन यदि आप इस आर्टिकल को पूरा पढ़ेंगे तो आप जानेंगे कि GST को लेकर आपकी जितनी भी Doubts हैं वो क्लियर हो जाएंगी।

GST क्या है?What Is GST In Hindi

GST क्या है और ये कैसे काम करता है? GST In Hindi
GST का फुल फॉर्म Goods and Services Tax होता है और हिंदी में इसे 'वस्तु एवं सेवा कर' के नाम से जाना जाता है। 29 मार्च 2017 को संसद में पारित हुई Goods and Services टैक्स को केंद्र सरकार ने 1 जुलाई 2017 से पूरे देश मे लागू किया था और इसमें अबतक समय-समय पर काफी बदलाव किया गया है। 

GST एक Indirect Tax है, जो देशभर में व्यापार में इस्तेमाल की जाने वाली वस्तुओं एवं सेवाओं पे लगाया जाता है। इसे आप एक बहु-स्तरीय और गंतव्य आधारित टैक्स सिस्टम भी कह सकते हैं। क्योंकि जब-जब किसी वस्तु एवं सेवा का व्यापार होता है तब जिस मूल्य पर वस्तु एवं सेवा को बेचा जाता है उसके हिसाब से GST लगाया जाता है। 

GST पूरे देश के लिए अब एकमात्र Indirect Tax System है। GST Is Also Known as One Nation One Indirect Tax System. 

आपको बता दें कि टैक्स मुख्यतः दो प्रकार की होती है-

1. प्रत्यक्ष कर(Direct Tax)- ये एक ऐसा Tax होता है जिसमें Tax जमा करने की जिम्मेदारी स्वयं उसी व्यक्ति पर होती है, जिसे Tax जमा करनी हो। जैसे, Income Tax ये Tax जमा करने की जिम्मेदारी उस व्यक्ति की ही होती है जिसका Income, Taxable अमाउंट के अंदर आता है। 

EX. Corporate Tax, Wealth Tax, Gift Tax etc. 

2. अप्रत्यक्ष कर(Indirect Tax)- ये एक ऐसा Tax होता है, जिसमे Tax जमा करने की जिम्मेदारी किसी दूसरे व्यक्ति के ऊपर होती है। जैसे हम कई समान लेते वक्त Sales Tax देते हैं। लेकिन ये Tax हम डायरेक्ट सरकार को नही देते हैं। जबकि उस दुकानदार को देते हैं जिससे हम कोई वस्तु या सेवा खरीदते हैं और Sales Tax जमा करने की जिम्मेदारी दुकानदार की होती है। 

EX. Excise Duty, Custom Duty, Entertainment Tax etc.

आप जितने भी अन्य प्रकार के टैक्स के बारे में सुनते हैं वो सभी इन्ही दो टैक्स सिस्टम में आती है। 

GST लागू होने के बाद केवल Indirect Tax System में बदलाव हुआ है, क्योंकि GST खुद एक Indirect Tax System है। Direct Tax सिस्टम जैसे काम करती थी तो अभी भी वैसे ही काम कर रही है। 

GST से पहले भारत का Indirect Tax System- 

जब देश मे GST लागू नही हुआ था उस समय भारतीय Indirect Tax System कैसा था इसे एक उदाहरण के जरिये समझते हैं। 

पहले यदि कोई Manufacturer(उत्पादक) कोई प्रोडक्ट बनाने के लिए यदि कोई कच्चा माल खरीदता था तो उसे उस माल पर VAT देना पड़ता था। अब वही उत्पादक यदि उस कच्चे माल से कोई प्रोडक्ट बनाकर Wholesaler  को बेचता था तब उस प्रोडक्ट पर VAT और Excise Duty(उत्पाद शुल्क) लगता था। अब Wholesaler जब ये प्रोडक्ट रिटेलर को बेचता था तब उस प्रोडक्ट पर फिर VAT लगाया जाता था। अंत में रिटेलर जब वही प्रोडक्ट एक आम कस्टमर को बेचता था तब उसपे फिर VAT लगता था। 

इस प्रकार एक ही प्रोडक्ट पर कई बार VAT और अन्य प्रकार के टैक्स लगने से वो प्रोडक्ट आम ग्राहक तक पहुंचने से पहले काफी महंगा हो जाता था। 

GST के पहले केंद्र और राज्य सरकार एक ही प्रोडक्ट या सर्विस पर अलग-अलग स्टेप्स में अलग-अलग टैक्सेज लगाती थी और इसका परिणाम ये होता था कि एक आम ग्राहक तक पहुंचने से पहले वो प्रोडक्ट या सर्विस काफी महंगी हो जाती थी। 

GST से पहले लगने वाले कुछ Taxes- 

Central Excise Duty

Duties On 

इन सब समस्याओं को देखते हुए सरकार ने GST लाने का निर्णय किया और GST को अबतक स्वतंत्र भारत का सबसे बड़ा टैक्स सुधार कानून कहा जाता है।

भारत मे GST का इतिहास हिंदी में(History Of GST In India In Hindi)- 

भारत मे GST इम्प्लीमेंटेशन भारतीय टैक्स सिस्टम सुधार में एक ऐतिहासिक कदम माना जाता है। 125 करोड़ से अधिक आबादी वाले इस देश मे GST लागू करना कोई आसान काम नही था। लेकिन लोगों के सहयोग की वजह से आज ये टैक्स काफी अच्छा हो चुका है। आइये अब आपको GST का भारत मे लागू होने का क्या इतिहास रहा है उससे रूबरू करवाते हैं। 

GST का दुनिया मे इतिहास(History Of GST In The World In Hindi) संक्षेप में- 

GST लागू करने वाला पहला देश फ्रांस था, जिसने अपने यहां 1954 में ही GST लागू कर दिया था। इसके फायदे को देखते हुए दुनिया के कई अन्य देशों ने भी अपने यहां वस्तु एवं सेवा कर यानी GST का इम्पलीमेंटेशन किया। जिसमें कुछ प्रमुख देश इस प्रकार है।  

ऑस्ट्रेलिया(2000)- वस्तु एवं सेवा कर(GST) से पहले ऑस्ट्रेलिया में Federal Wholesale Tax सिस्टम लागू था। जैसे हमारे यहां GST से पहले कई तरह के इनडाइरेक्ट टैक्स लगते थे। 

न्यूज़ीलैंड(1986)- वस्तु एवं सेवा कर(GST) पहले न्यूज़ीलैंड में कई तरह के हिडन सेल्स टैक्स लगते थे। 

अन्य देश जैसे कनाडा(1991), सिंगापूर(1994) और मलेशिया(2015) ने भी अपने यहां वस्तु एवं सेवा कर(GST) लागू करने से पीछे नही रहा। 

वस्तु एवं सेवा कर(GST) का भारत मे इतिहास( History of GST In India In Hindi)- 

भारत मे वस्तु एवं सेवा कर(GST) लागू करने का पहला प्रस्ताव सन 2000 में अटल बिहारी वाजपेयी सरकार ने रखा था। इसके लिए सरकार ने सभी राज्य के वित्त मंत्री को मिलाकर एक Empowered Committee(EC) बनाई जिसका काम GST की रूपरेखा को तैयार करना था। 

इस कमिटी के अध्यक्ष बंगाल के तत्कालीन वित्त मंत्री आसिम दासगुप्ता को बनाया गया, जिन्होंने 2011 तक इस कमिटी की अध्यक्षता की।

2005-06 के बजट सत्र में GST को लेकर कई सारी चर्चाएं हुईं और तात्कालीन वित्त मंत्री पी. चिदंबरम ने 1 अप्रैल 2010 को वस्तु एवं सेवा कर(GST) लागू करने का लक्ष्य रखा। 

इसके बाद 2009 में प्रणब मुखर्जी वित्त मंत्री बने और उन्होंने संसद में GST की पहली रूपरेखा पेश की। लेकिन अभी तक ये तय नही हुआ था कि वस्तु एवं सेवा कर(GST) को लागू कैसे किया जाए और इसको लेकर अभी तक संसद में कोई बिल भी नही पेश हुआ था। 

इसके बाद साल 2011 का समय आया और इस समय केंद्र में कांग्रेस की सरकार थी। कांग्रेसी सरकार ने पहली बार मार्च 2011 में देश में वस्तु एवं सेवा कर(GST) लागू करने के लिए संविधान संशोधन(115वां संशोधन) पेश करती है। लेकिन इस बिल का विपक्ष ने कड़ा विरोध किया जिसकी वजह से इस बिल को एक स्टैंडिंग कमेटी के पास जांच परख के लिए भेज दिया जाता है। 

विपक्ष का बिल में मौजूद 279B क्लॉज़ को लेकर विवाद था जिसके मुताबिक केंद्र सरकार को GST विवाद प्राधिकरण की  तुलना में एडिशनल पावर थी। 

इसे लेकर तात्कालीन वित्त मंत्री पी. चिदंबरम ने एक कमिटी बनाई जिन्होंने 31 दिसंबर 2012 तक GST बिल में मौजूद तमाम त्रुटियों को दूर करने का संकल्प लिया। इसके बाद बिल को लेकर कई बार बहस हुई और खामियों को दूर करने का काम होता रहा। 

अब 2014 का समय आया जब केंद्र में नरेंद्र मोदी की सरकार आयी और इस सरकार के वित्त मंत्री अरुण जेटली ने दिसंबर 2014 में एक बार पुनः GST लागू करने के लिए संसद में संविधान संशोधन(122वां संशोधन) बिल पेश किया। 

मई 2015 में ये बिल लोकसभा में पास हुआ और इसी समय अरुण जेटली ने घोषणा की, की पेट्रोलियम को GST के दायरे से बाहर रखा जाएगा। लेकिन अगस्त 2015 में ये बिल राज्यसभा में पास नही हो सका। 

कांग्रेस ये चाहती थी कि GST रेट को 18% से अधिक नही किया जाए। लेकिन अरुण जेटली ने इसे बिल में शामिल करने से मना कर दिया। उनके मुताबिक यदि भविष्य में सरकार के सामने कोई आर्थिक समस्या आती है तो टैक्स रेट को बढ़ाने के लिए संसद से मंजूरी लेनी होगी और इस दौरान कुछ भी हो सकता है। इसलिए GST फिक्स रेट को बिल से बाहर ही रखा गया। 

जून 2016 में वित्त मंत्रालय ने GST का मॉडल जनता के सामने पेश किया और उनसे इस बिल को लेकर सुझाव भी मांगे। 

इसके बाद 2016 में कांग्रेस ने कुछ शर्तों के बाद राज्यसभा में भी इस बिल का समर्थन किया और ये बिल आखिरकार पास हो सका। 

बिल पास होने के बाद सितंबर 2016 में आदरणीय राष्ट्रपति महोदय ने इस बिल को कानून बनाने की सहमति दे दी। 

आखिरकार 2017 में GST से संबंधित चार बिल को अधिनियम बनाया गया और वो चार बिल इस प्रकार है- 

Central GST Bill 

Integrated GST Bill

Union Territory GST Bill

State GST Bill

इस प्रकार देश मे एक यूनिफार्म टैक्स कानून लागू करने का रास्ता साफ हुआ और इसे सरकार ने 1 जुलाई 2017 के आधी रात को पूरे देश मे लागू कर दिया।

GST के फ़ायदे और नुकसान(Advantage and Disadvantage Of GST In Hindi)- 

GST क्या है और ये कैसे काम करता है? GST In Hindi

जब भी सरकार के द्वारा कोई नया नियम कानून लागू किया जाता है तो उसके कुछ फायदे और नुकसान जरूर होता है। लेकिन कई बार अधिक फायदे होने की वजह से हमलोग थोड़ा बहुत नुकसान सहने को तैयार होते हैं। यही फार्मूला GST के साथ भी हुआ। 

GST लागू होने से देश मे कई फायदे देखने को मिले। लेकिन इसके विपरीत कुछ नुकसान भी हमे सहना पड़ा। आज हम आपको GST के फायदे और नुकसान के बारे में बड़े ही आसान शब्दों में बताने वाले हैं। 

GST के फायदे(Advantage Of GST In Hindi)- 

GST लागू होने से TAX पर इसका व्यापक प्रभाव पड़ा और जो पहले की सिस्टम में होता था कि कई बार टैक्स देने के वावजूद उसी वस्तु या सेवा पर दुबारा टैक्स देना पड़ता था। GST ने यहां लोगों को काफी राहत दी और अब टैक्स के ऊपर टैक्स लगने जैसी कोई समस्या नही है। 

GST से पहले 5 लाख से अधिक टर्नओवर वाले व्यापार पर VAT लगता था वो भी अलग-अलग राज्यों का अलग-अलग कानून था। लेकिन ने टैक्स दायरे को बढ़ाकर 20 लाख कर दिया। इससे छोटे व्यापारियों को काफी फायदा हुआ और वो अब और अधिक अच्छे से व्यापार कर रहे हैं। 

वस्तु एवं सेवा कर(GST) भरने का प्रोसेस काफी आसान है। सरकार ने इसे लागू करने से पहले इसका सारा प्रोसेस ऑनलाइन कर दिया। अब कोई भी व्यापारी बड़े ही आसानी से घर बैठे GST भर सकता है।

एक सिस्टम लागू हो जाने से अब व्यापारी केवल GST के बारे में ही सोचते हैं और इसी को समय समय पर फ़ाइल करते हैं। पहले के मुकाबले अब लोगों को बहुत ही कम माथापच्ची करनी होती है। 

वस्तु एवं सेवा कर(GST)(Disadvantage Of GST In Hindi)- 

GST के कई टर्म्स एंड कंडीशन समझ मे नही आने की वजह से व्यापारियों को अब या तो कोई सॉफ्टवेयर खरीदना होता है या फिर किसी जानकार व्यक्ति को GST फ़ाइल करने के लिए रखना पड़ता है। इससे उनका Cost बढ़ जाता है।



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