भारत में चेचक या चिकन पॉक्स को माता क्यों कहा जाता है

चेचक मानवो होने वाला एक प्रकार का रोग है। यह ज्यादातर बच्चों में होता है, लेकिन कई बार वयस्कों में भी यह रोग देखने को मिलता है। यह रोग जब किसी इंसान को होता है तब उसे ठीक होने में 10 से 15 दिन का वक्त लग जाता है और इस रोग से होने वाले दाग को चेहरे से मिटने में करीब 5 से 6 महीने का समय लग जाता है।
यह रोग ज्यादातर वसंत या ग्रीष्म ऋतु में होता है। इससे पीड़ित व्यक्ति का जल्दी इलाज ना किया जाए तो इससे मृत्यु भी हो सकती है। भारत मे चेचक को माता कहा जाता है। लेकिन क्या आप जानते हैं, भारत मे चेचक को माता क्यों कहा जाता है। अगर आप भी इसके जवाब से अनजान है तो आज इस आर्टिकल को पढ़ने के बाद आपको इस सवाल का जवाब मिलने वाला है।
भारत मे चेचक को माता कहे जाने के पीछे कई भ्रांतियां मौजूद है, जो पूरे देश भर में फैला हुआ है। ताज्जुब की बात ये है कि कई पढ़े लिखे लोग भी चेचक को माता ही बोलते हैं। भारत मे चेचक की बीमारी को माता शीतला से जोड़कर देखा जाता है, इसीलिये इस रोग को माता कहा जाता है। 
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ऐसी मान्यता है की माता शीतला हमारे शरीर को शीतलता प्रदान करती है। कहते हैं कि माता शीतला के एक हाथ मे झाड़ू और दूसरे हाथ मे पवित्र जल होता है। इसी झाड़ू से माता रोग देती है और उचित सफाई और पूजा होने से इसी पवित्र जल से माता बीमारी को हर लेती है।
शास्त्रो में शीतला माता को मां दुर्गा का ही रूप माना जाता है। शीतला माता के प्रकोप से बचने के लिए शीतलाष्टमी भी मनाया जाता है। तो अब आप जान गए होंगे कि भारत मे चेचक को माता क्यों कहा जाता है। 


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